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सोमवार, 24 अप्रैल 2023

"कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फ़ाउंडेशन" और "बचपन बचाओ" द्वारा बिहार पुलिस के सहयोग से एक दिवसीय पुलिस प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित । Seemanchal News Live


पूर्णिया, बिहार । "कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फ़ाउंडेशन" और "बचपन बचाओ" द्वारा बिहार पुलिस के सहयोग से आयोजित एक दिवसीय पुलिस प्रशिक्षण। आज दिनांक-24.04.2023 को कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फ़ाउंडेशन और बचपन बचाओ द्वारा बिहार पुलिस के सहयोग से पूर्णिया में पुलिस पदाधिकारियों तथा बच्चों के लिए काम करने वाले अन्य हितधारकों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रेक्षा गृह आर्ट गैलरी, पूर्णिया में आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उदघाटन पूर्णिया पुलिस अधीक्षक आमिर जावेद(भा0पु0से 0), प्रशिक्षक डॉ- कविता सुरभि, सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक आर0पी0 सिंह तथा जिला समन्वयक सुमित प्रकाश के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य रूप से उप श्रम आयुक्त आदित्य राजहंस, उपाधीक्षक मनोज कुमार, उपाधीक्षक मुख्यालय एएचटीयू पंकज कुमार, कटिहार रेल उपाधीक्षक देवेन्द्र कुमार, श्रम अधीक्षक जगन्नाथ पासवान, चेयरपर्सन बाल कल्याण समिति रजनी गुप्ता एवं रविन्द्र कुमार मिश्रा, सहायक निदेशक डीसीपीयू बेबी रानी, सिविल सर्जन प्रतिनिधि डॉ एन झा तथा डीएन झा समेत कटिहार एवं पूर्णिया के सभी बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी, प्रमुख थाना प्रभारियों एवं रेल पुलिस बल तथा राजकीय रेल पुलिस बल तथा किशोर न्याय बोर्ड के सदस्यों की गरिमामयी उपस्थिति रही। प्रतिभागियों के रजिस्ट्रेशन के बाद मुख्य अतिथि पुलिस अधीक्षक आमिर जावेद ने उपस्थित बाल हितधारक प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुये कहा, “यह प्रशिक्षण इसलिए जरूरी है, क्योंकि यहाँ बाल संरक्षण के सदस्य तो हैं, लेकिन उनमें जागरूकता की कमी है और सीमांचल का यह इलाका बाल दुर्व्यापार का प्रमुख स्रोत क्षेत्र रहा है। पुलिस विभाग में ट्रेफिकिंग और किशोर न्याय अधिनियम एवं पोक्सो के कानूनी प्रावधानों को लेकर जमीनी स्टार पर बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फ़ाउंडेशन के जिला समन्वयक सुमित प्रकाश ने संगठन के एतिहासिक बिन्दुओं पर चर्चा करते हुये प्रशिक्षण के उद्देश्य के बारे में बताया और कहा कि बच्चों से संबंधित क़ानूनों की जानकारी इस एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में दी जाएगी और मानव दुर्व्यापार के मुद्दे को लेकर जिला और थाना स्तर पर पुलिस अधिकारी तथा अन्य हितधारक जिन समस्याओं से जूझते हैं, उनके समाधान पर चर्चा की जाएगी। प्रशिक्षक मास्टर ट्रेनर डॉ कविता सुरभि ने पुलिस अफसरों को किशोर न्याय अधिनियम (जुवेनाइल जस्टिस एक्ट) एवं लैंगिक अपराधों से संबंधित पोक्सो अधिनियम के बारे में विस्तार से बताया गया। बाल मजदूरी एवं बाल विवाह पर चर्चा हुई। प्रशिक्षक आर पी सिंह ने पुलिस अधिकारियों को जेजे एक्ट के तहत बरती जाने वाली सावधानी से अवगत कराया। बच्चों की सुरक्षा के साथ साथ सही देखभाल को लेकर भी सजग रहने की सलाह दी गई। प्रशिक्षण के दौरान बिहार एवं देश में बच्चों के साथ घटी घटनाओं एवं पुलिस द्वारा उठाये गये कदमों का जिक्र करते हुए इसका अनुसरण करने पर जोर दिया गया। अंतिम सत्र में प्रतिभागियों से प्रश्न भी पूछे गए। डॉ कविता सुरभि ने कहा कि कई बार बच्चों के साथ अमानवीय घटनाएं घटित होती है लेकिन डर के चलते बच्चे अपने परिजनों को उसके बारे में बताते नहीं हैं जिसके चलते आरोपी बच निकलते हैं। उन्होने कहा, आरोपियों को कड़ी सज़ा मिले, इसके लिए पुलिस अधिकारी को पीड़ित के बयान पर सुसंगत धारा लगाकर मामले को मजबूत करना चाहिए, जिससे आरोपी को कड़ी से कड़ी सज़ा मिल सके। बच्चों की सुरक्षा से संबन्धित कानूनी प्रावधानों की बात करते हुये अधिकारियों को जागरूक करते हुये उन्होने कहा, पीड़ित बच्चों को न्याय मिले, इसलिए पुलिस और हितधारकों का संवेदनशील होना बहुत जरूरी है। पीड़ित के दर्द को समझना होगा और इसीलिए एफआईआर दर्ज करते समय विशेष सावधानियां बरती जाएं। घटना से जुड़े सभी पहलुओं का समावेश होना चाहिए। साक्ष्य संकलन में किसी तरह की चूक न होने पाए ताकि अपराधी को सजा दिलाई जा सके। प्रशिक्षण के दौरान मानव व्यापार के बारे में बताते हुये न सिर्फ धारा 370 को परिभाषित किया गया, बल्कि 370 में दिये गए दंड की चर्चा करते हुये यह भी बताया गया कि मानव व्यापार का अपराध करने वाले अपराधी को उन सब धाराओं के तहत भी दंडित किया जाना चाहिए, जो दुर्व्यापार की पूरी प्रक्रिया के दौरान बच्चे के साथ किए गए। ये सब धाराएँ लगाकर मामले को मजबूत कर समय पर कोर्ट में चार्जशीट दायर करना चाहिए|कार्यक्रम में प्री और पोस्ट असेसमेंट टेस्ट, बच्चा कौन है, बाल कानूनों की आवश्यकता, भारत में बच्चों के मामलों का परिदृश्य, बाल कानूनों के तहत कानूनी प्रावधान, परिभाषित अपराध, निर्धारित सज़ा, अदालत के फैसले, केस स्टडीस, जिला स्तरीय अभिसरण से निपटने में विभिन्न हितधारकों की भूमिका, पुलिस, चिकित्सक, बाल कल्याण समिति, सरकारी वकील, विशेष न्यायालय आदि विषयों पर विस्तृत जानकारी दी गई। उप श्रम आयुक्त आदित्य राजहंस ने एक दिवसीय कार्यक्रम में कैलाश सत्यार्थी के बच्चों के अधिकारों को लेकर किए गए संघर्ष को अविस्मरणीय बताया और उन्होने एम सी मेहता बनाम तमिलनाडु मामले की चर्चा की। पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय पंकज कुमार ने सभी उपस्थित गणमान्य जनों, अतिथियों एवं प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापन किया।

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