पूर्णिया, बिहार । भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा है कि विश्वविद्यालयों में कार्यरत अतिथि सहायक प्राध्यापकों को अचानक हटाने के फैसले पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए। हटाने की प्रक्रिया उचित नहीं है और इस पर रोक लगनी चाहिए। विदित हो कि विश्वविद्यालयों में अभी स्थायी सहायक प्राध्यापक की बहाली हो रही है। जिन विषयों में बहाली हो चुकी है उसमें कार्यरत अतिथि सहायक प्राध्यापकों को हटा दिया गया है, जबकि ये अतिथि शिक्षक प्राध्यापक लंबे समय से विश्वविद्यालयों में कार्यरत रहे हैं और कोरोना काल के पहले से अब तक शिक्षा को संभालने में उनकी प्रमुख भूमिका रही है। अब तक प्राप्त सूचना के मुताबिक हिंदी, प्राकृत व भूगर्भशास्त्र के लगभग 60 अतिथि सहायक प्राध्यापकों को हटा दिया गया है और वे एकबारगी सड़क पर आ गए हैं। इसमें पटना विवि के हिंदी से 5, मिथिला विवि से हिंदी विषय के ही 15, बाबा साहेब अंबेडकर, मुजफ्फरपुर के हिंदी विषय के 32, वीकएसयू के प्राकृत के 3 और पटना वि.वि. के भूगर्भशास्त्र के 5 अतिथि सहायक प्राध्यापक शामिल हैं। हमारी मांग है कि अतिथि सहायक प्राध्यापकों के इस तरह से अचानके हटाये जाने की प्रक्रिया पर रोक लगे तथा हटाए गए शिक्षकों को पुनर्बहाल करे। हमारी मांग यह भी है कि सरकार अतिथि शिक्षकों को हटाने की बजाए उनके समायोजन की नीति पर विचार करे। अभी भी विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में सीटें खाली हैं, इसलिए उनका समायोजन किया जा सकता है।
रविवार, 23 अप्रैल 2023
अतिथि सहायक प्राध्यापकों को अचानक हटाने की प्रक्रिया उचित नहीं है इस पर रोक लगनी चाहिए– भाकपा-माले । seemanchal News Live
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