पूर्णिया: आर॰टी॰आई॰ कार्य कर्ता और एआईएमआईएम पूर्णिया ईस्ट अध्यक्ष अब्दुल हन्नान ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर लॉकडाउन के कारण हो रहे मौतों पर चिंता जाहिर किए है उन्होंने ने कहा कि लॉकडाउन के कारण अब तक 300 से ज्यादा मौतें ऐसी हुई हैं जो कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं थे, जिन्हें बचाया जा सकता था।
तबरक अंसारी (50) 25 मार्च को महाराष्ट्र के भिवड़ी से अपने 11 दोस्तों के साथ उत्तर प्रदेश के जिला महाराजगंज के लिए निकले थे, लेकिन अपने घर नहीं पहुंच पाये। रास्ते में मध्य प्रदेश के सेंधवा में उनकी मौत हो गई। भिवंड़ी से महाराजगंज की कुल दूरी लगभग 1,600 किलोमीटर है, लेकिन तबरक कुल 390 किमी कर सफर ही तय कर पाए।
धर्मवीर (28) 27 मार्च को अपने सात साथियों के साथ नई दिल्ली से बिहार के खगड़िया जिले के खरैता गांव के लिए साइकिल से निकले थे, लेकिन उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के पास उनबी तबियत खराब होती है और ले जाते-जाते मौत हो जाती है।
उत्तर प्रदेश के जिला श्रावस्ती के रहने वाले इंसाफ अली (35) 14 दिनों में 1,500 किमी की यात्रा करके 27 अप्रैल को अपने गांव मल्हीपुर के मटखनवा पहुंचे थे। गांव पहुंचे कुछ ही देर हुई थी कि क्वारंटीन सेंटर में उनकी मौत हो गई। मौके पर पहुंची स्वास्थ्य टीम ने नमूना लेकर जांच कराया जिसमें कोरोना निगेटिव पाया गया।
लॉकडाउन की वजह से देश में अब तक कुल 338 मौतें ऐसी हुई हैं जिन्हें कोरोना नहीं था।
प्रधानमंत्री ने औरंगाबाद में ट्रेन से कुचले गए 16 मज़दूरों मरने को भी अपनी मौत की डायरी में नोट कर लिया होगा। छत्तीसगढ़ के मज़दूर दंपति की मौत की भी, जिनके बच्चे अनाथ हो चुके हैं।
सरकार हर मोड़ पर गरीब और मध्यम वर्गो को परेशान कर रही है। लॉकडाउन से कभी कोरोना पर काबू नहीं पा सकते आखिर कब तक लॉकडाउन रहेगा। अगर कोरोना से जीतना है तो टेस्ट प्रतिशत बढ़ना पड़ेगा।
लेकिन वे फिर भी कुछ नहीं करेंगे। बस, ग़रीबों का खून चूसकर वोट लेंगे।
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